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मुसलमानों को साढ़े चार फीसदी आरक्षण : ओबीसी कोटे के दायरे में होगा कोटा ( 4.5 percent Reservation for Muslims in India)
During a recent meeting with the rector of Darul Uloom Nadwatul Ulema, Maulana Rabey Hasani Nadwi, Congress general secretary Rahul Gandhi had promised swift action on the Centre's assurance for providing reservation to backward Muslims.
Sensing a resentment among the OBCs over their shrinking share has already prompted the government to promise a similar sub-quota for the most backwards among the OBCs. This is seen as a mature strategy as bulk of the benefits of reservation goes to the upwardly mobile Yadavs and Kurmis.
The MBC quota promise could help Congress bring within its net Nishads, Rajbhars, Mauryas, Lodhs, Kushwahas, etc, who account for close to 60% of the OBC population. Incidentally, Congress has been aggressively wooing this section by awarding them assembly tickets. In Bihar, Nitish Kumar undertook a similar experiment and reaped rich electoral dividends.
Kumar reserved seats for MBCs in local bodies. In the last assembly polls, the MBCs repaid their gratitude by voting en masse in favour of the NDA. The non-Yadav OBCs had backed Mayawati in the last poll to the UP assembly.
But they started deserting BSP after the elections as the spoils of power went to Mayawati's caste brethren of Jatavs and Brahmins.
In the power structure, the MBCs have been repeatedly denied their share. Their natural inclination is to gravitate towards forces that can contain the Yadavs and to some extent the Kurmis - who walk away with the biggest share of benefits for the backward community.
News : The Economic Times ( 23.12.11)
As per sources : Congress facing stiff pressure on Jal-Lokpal Bill, plays a new card - Reservation, before coming elections in UP
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली संपूर्ण विपक्ष और अपने कई सहयोगी दलों के विरोध के बावजूद सरकार ने लोकपाल विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया, लेकिन उसमें एससी-एसटी, ओबीसी, महिला के साथ-साथ अल्पसंख्यक आरक्षण समाहित करना नहीं भूली। सरकार ने अल्पसंख्यकों को आरक्षण की दूसरी सौगात कैबिनेट फैसले के जरिये अन्य पिछड़ा वर्गो के 27 फीसदी में से साढ़े चार फीसदी कोटा देने की घोषणा करके की। यह पहली बार है जब खुद सरकार ने संवैधानिक दर्जा हासिल करने जा रही किसी संस्था में जाति, लिंग के साथ-साथ धार्मिक आरक्षण का भी प्रावधान किया।
लोकसभा में लोकपाल विधेयक पेशकर सरकार ने न सिर्फ अपने वादे को पूरा किया, बल्कि कई छोटे दलों का समर्थन प्राप्त कर सदन में भाजपा को अलग-थलग भी कर दिया। नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के ठोस तर्को का नेता सदन प्रणब मुखर्जी ने मजबूती से बचाव कर साफ किया कि सोनिया गांधी के खुले समर्थन के बाद सरकार अब इस मुद्दे पर दबने वाली नहीं है। अब इस विधेयक का भविष्य 27 से 29 दिसंबर तक दोनों सदनों की बहस से तय होगा। सरकार बेहद चतुराई से लोकपाल विधेयक-2011 और उसे संवैधानिक दर्जा देने के लिए संविधान संशोधन के लिए अलग विधेयक लाई। लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने के मुद्दे पर जहां किसी विरोध की आशंका नहीं है, वहीं लोकपाल बिल के कई प्रावधानों पर मतभेद के बावजूद उसे पारित कराना बहुत मुश्किल नहीं होगा। यह सामान्य बहुमत से पारित हो जाएगा। अलबत्ता संवैधानिक दर्जा और विधेयक में आरक्षण पर सरकार के प्रस्ताव पर संविधान संशोधन के लिए अलग से मतदान होगा, जिसमें कम से कम आधे सांसदों की उपस्थिति व उनमें दो तिहाई का बहुमत अनिवार्य होगा। गुरुवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही लोकपाल में अल्पसंख्यक आरक्षण न होने को मुद्दा बनाकर राजद अध्यक्ष लालू यादव और उनके पीछे सपा की टीम ने सदन को सिर पर उठा लिया। सदन की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। कार्यवाही शुरू हुई तो सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह भी आ चुके थे और फिर जोरदार हंगामे के बाद कार्यवाही फिर स्थगित हो गई। मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, प्रणब मुखर्जी और दूसरे नेताओं की मंत्रणाएं चलीं। प्रणब की भाजपा और अन्य दलों के नेताओं के साथ बैठकें हुई। अंतत: साढे़ तीन बजे सरकार विधेयक में संशोधन करके लाई और उसमें एससी-एसटी, ओबीसी, महिला के साथ अल्पसंख्यक आरक्षण का भी प्रावधान भी था। प्रणब ने जैसे ही उसे पेश किया, सुषमा स्वराज ने धार्मिक आधार पर आरक्षण और इसकी भाषा कि 50 फीसदी से कम आरक्षण न हो पर आपत्ति जताई। साथ ही लोकपाल के तरह ही लोकायुक्तों की नियुक्ति के प्रावधान को संघीय ढांचे के विरुद्ध बताते हुए कहा कि अदालत के सामने यह विधेयक गिर जाएगा। जवाब में प्रणब ने सुषमा से दो टूक कहा कि वह जज न बनें। सदन में बहस के बाद पारित होने दें, अदालत के डर से संसद कानून बनाना नहीं छोड़ देगी। हालांकि वाम दलों से लेकर सपा, बसपा, बीजद, राजद आदि ने अलग-अलग मुद्दों पर विधेयक का विरोध किया, लेकिन लोकपाल पर अब तक मुंह की खाती रही सरकार के के लिए राहत की बात यह रही कि सदन में भाजपा को छोड़कर ज्यादातर सदस्य टीम अन्ना के खिलाफ ही दिखे |
ओबीसी के हिस्से का 4.5 फीसदी कोटा मुस्लिम-सिख-इसाई-बौद्धों को -
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावों में सियासी फायदे पर निशाना साधते हुए सरकार ने अल्पसंख्यकों को अन्य पिछड़ों के 27 फीसदी आरक्षण कोटे में से साढ़े चार फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। मुसलमानों समेत अल्पसंख्यक वर्गो को आरक्षण देने के लिए कार्यकारी आदेश का रास्ता अपना रही सरकार इसे जनवरी 2012 से लागू करेगी। अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण के प्रावधान के साथ गुरुवार को संसद में लोकपाल विधेयक पेश करने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई में हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। यह आरक्षण अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों के अलावा केंद्रीय शिक्षण संस्थानों के दाखिले में भी मदद देगा। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध व पारसी समुदायों को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय द्वारा समय-समय पर अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत अधिसूचित की जाने वाली अल्पसंख्यकों की जातियों व उपजातियां भी इस आरक्षण का फायदा ले सकेंगी। इस आरक्षण को लागू करने के लिए जल्द ही कार्यकारी आदेश जारी किया जाएगा। सरकार ने पांच राज्यों के चुनावों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले यह फैसला कर नया सियासी पैंतरा चला है। पहली बार मजहब के आधार पर आरक्षण देने के केंद्र के फैसले का प्रभाव राहुल गांधी की अगुवाई में चल रहे मिशन उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब, गोवा और मणिपुर पर भी पड़ेगा। इन राज्यों में अल्पसंख्यकों की अच्छी आबादी है। अल्पसंख्यक वर्गो को अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण में हिस्सेदारी के पीछे सरकार की दलील है कि मंडल आयोग के मुताबिक अन्य पिछड़ा वर्ग आबादी 52 प्रतिशत है जिसमें 8.4 फीसदी जनसंख्या गैर-हिंदू है। ऐसे में गैर हिंदुओं के लिए 4.36 फीसदी आरक्षण का प्रावधान संभव है। मंत्रिमंडल में रखे गए सरकारी नोट के मुताबिक मजहब और भाषा आधारित राष्ट्रीय आयोग ने भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण की मांग की थी।
News : Jagran (23.12.11)
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विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय कैबिनेट का बड़ा दांव
मुसलमानों को साढ़े चार फीसदी आरक्षण : ओबीसी कोटे के दायरे में होगा कोटा ( 4.5 percent Reservation for Muslims in India)
अमर उजाला ब्यूरो
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Important News - Jobs/Recruitment/Sarkari Naukri in India
मुसलमानों को साढ़े चार फीसदी आरक्षण : ओबीसी कोटे के दायरे में होगा कोटा ( 4.5 percent Reservation for Muslims in India)
Ahead of UP polls, cabinet clears 4.5% quota for minorities
NEW DELHI: The competition for Muslim votes in Uttar Pradesh intensified on Thursday, with the Congress getting the Union Cabinet to carve out a 4.5% sub-quota for minorities from within the existing 27% for OBCs in central jobs.During a recent meeting with the rector of Darul Uloom Nadwatul Ulema, Maulana Rabey Hasani Nadwi, Congress general secretary Rahul Gandhi had promised swift action on the Centre's assurance for providing reservation to backward Muslims.
Sensing a resentment among the OBCs over their shrinking share has already prompted the government to promise a similar sub-quota for the most backwards among the OBCs. This is seen as a mature strategy as bulk of the benefits of reservation goes to the upwardly mobile Yadavs and Kurmis.
The MBC quota promise could help Congress bring within its net Nishads, Rajbhars, Mauryas, Lodhs, Kushwahas, etc, who account for close to 60% of the OBC population. Incidentally, Congress has been aggressively wooing this section by awarding them assembly tickets. In Bihar, Nitish Kumar undertook a similar experiment and reaped rich electoral dividends.
Kumar reserved seats for MBCs in local bodies. In the last assembly polls, the MBCs repaid their gratitude by voting en masse in favour of the NDA. The non-Yadav OBCs had backed Mayawati in the last poll to the UP assembly.
But they started deserting BSP after the elections as the spoils of power went to Mayawati's caste brethren of Jatavs and Brahmins.
In the power structure, the MBCs have been repeatedly denied their share. Their natural inclination is to gravitate towards forces that can contain the Yadavs and to some extent the Kurmis - who walk away with the biggest share of benefits for the backward community.
News : The Economic Times ( 23.12.11)
As per sources : Congress facing stiff pressure on Jal-Lokpal Bill, plays a new card - Reservation, before coming elections in UP
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अल्पसंख्यकों को दोहरी सौगात (Double benefit reservation in Lokpal Bill including reservation in central government services)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली संपूर्ण विपक्ष और अपने कई सहयोगी दलों के विरोध के बावजूद सरकार ने लोकपाल विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया, लेकिन उसमें एससी-एसटी, ओबीसी, महिला के साथ-साथ अल्पसंख्यक आरक्षण समाहित करना नहीं भूली। सरकार ने अल्पसंख्यकों को आरक्षण की दूसरी सौगात कैबिनेट फैसले के जरिये अन्य पिछड़ा वर्गो के 27 फीसदी में से साढ़े चार फीसदी कोटा देने की घोषणा करके की। यह पहली बार है जब खुद सरकार ने संवैधानिक दर्जा हासिल करने जा रही किसी संस्था में जाति, लिंग के साथ-साथ धार्मिक आरक्षण का भी प्रावधान किया।
लोकसभा में लोकपाल विधेयक पेशकर सरकार ने न सिर्फ अपने वादे को पूरा किया, बल्कि कई छोटे दलों का समर्थन प्राप्त कर सदन में भाजपा को अलग-थलग भी कर दिया। नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के ठोस तर्को का नेता सदन प्रणब मुखर्जी ने मजबूती से बचाव कर साफ किया कि सोनिया गांधी के खुले समर्थन के बाद सरकार अब इस मुद्दे पर दबने वाली नहीं है। अब इस विधेयक का भविष्य 27 से 29 दिसंबर तक दोनों सदनों की बहस से तय होगा। सरकार बेहद चतुराई से लोकपाल विधेयक-2011 और उसे संवैधानिक दर्जा देने के लिए संविधान संशोधन के लिए अलग विधेयक लाई। लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने के मुद्दे पर जहां किसी विरोध की आशंका नहीं है, वहीं लोकपाल बिल के कई प्रावधानों पर मतभेद के बावजूद उसे पारित कराना बहुत मुश्किल नहीं होगा। यह सामान्य बहुमत से पारित हो जाएगा। अलबत्ता संवैधानिक दर्जा और विधेयक में आरक्षण पर सरकार के प्रस्ताव पर संविधान संशोधन के लिए अलग से मतदान होगा, जिसमें कम से कम आधे सांसदों की उपस्थिति व उनमें दो तिहाई का बहुमत अनिवार्य होगा। गुरुवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही लोकपाल में अल्पसंख्यक आरक्षण न होने को मुद्दा बनाकर राजद अध्यक्ष लालू यादव और उनके पीछे सपा की टीम ने सदन को सिर पर उठा लिया। सदन की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। कार्यवाही शुरू हुई तो सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह भी आ चुके थे और फिर जोरदार हंगामे के बाद कार्यवाही फिर स्थगित हो गई। मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, प्रणब मुखर्जी और दूसरे नेताओं की मंत्रणाएं चलीं। प्रणब की भाजपा और अन्य दलों के नेताओं के साथ बैठकें हुई। अंतत: साढे़ तीन बजे सरकार विधेयक में संशोधन करके लाई और उसमें एससी-एसटी, ओबीसी, महिला के साथ अल्पसंख्यक आरक्षण का भी प्रावधान भी था। प्रणब ने जैसे ही उसे पेश किया, सुषमा स्वराज ने धार्मिक आधार पर आरक्षण और इसकी भाषा कि 50 फीसदी से कम आरक्षण न हो पर आपत्ति जताई। साथ ही लोकपाल के तरह ही लोकायुक्तों की नियुक्ति के प्रावधान को संघीय ढांचे के विरुद्ध बताते हुए कहा कि अदालत के सामने यह विधेयक गिर जाएगा। जवाब में प्रणब ने सुषमा से दो टूक कहा कि वह जज न बनें। सदन में बहस के बाद पारित होने दें, अदालत के डर से संसद कानून बनाना नहीं छोड़ देगी। हालांकि वाम दलों से लेकर सपा, बसपा, बीजद, राजद आदि ने अलग-अलग मुद्दों पर विधेयक का विरोध किया, लेकिन लोकपाल पर अब तक मुंह की खाती रही सरकार के के लिए राहत की बात यह रही कि सदन में भाजपा को छोड़कर ज्यादातर सदस्य टीम अन्ना के खिलाफ ही दिखे |
ओबीसी के हिस्से का 4.5 फीसदी कोटा मुस्लिम-सिख-इसाई-बौद्धों को -
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावों में सियासी फायदे पर निशाना साधते हुए सरकार ने अल्पसंख्यकों को अन्य पिछड़ों के 27 फीसदी आरक्षण कोटे में से साढ़े चार फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। मुसलमानों समेत अल्पसंख्यक वर्गो को आरक्षण देने के लिए कार्यकारी आदेश का रास्ता अपना रही सरकार इसे जनवरी 2012 से लागू करेगी। अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण के प्रावधान के साथ गुरुवार को संसद में लोकपाल विधेयक पेश करने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई में हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। यह आरक्षण अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों के अलावा केंद्रीय शिक्षण संस्थानों के दाखिले में भी मदद देगा। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध व पारसी समुदायों को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय द्वारा समय-समय पर अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत अधिसूचित की जाने वाली अल्पसंख्यकों की जातियों व उपजातियां भी इस आरक्षण का फायदा ले सकेंगी। इस आरक्षण को लागू करने के लिए जल्द ही कार्यकारी आदेश जारी किया जाएगा। सरकार ने पांच राज्यों के चुनावों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले यह फैसला कर नया सियासी पैंतरा चला है। पहली बार मजहब के आधार पर आरक्षण देने के केंद्र के फैसले का प्रभाव राहुल गांधी की अगुवाई में चल रहे मिशन उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब, गोवा और मणिपुर पर भी पड़ेगा। इन राज्यों में अल्पसंख्यकों की अच्छी आबादी है। अल्पसंख्यक वर्गो को अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण में हिस्सेदारी के पीछे सरकार की दलील है कि मंडल आयोग के मुताबिक अन्य पिछड़ा वर्ग आबादी 52 प्रतिशत है जिसमें 8.4 फीसदी जनसंख्या गैर-हिंदू है। ऐसे में गैर हिंदुओं के लिए 4.36 फीसदी आरक्षण का प्रावधान संभव है। मंत्रिमंडल में रखे गए सरकारी नोट के मुताबिक मजहब और भाषा आधारित राष्ट्रीय आयोग ने भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण की मांग की थी।
News : Jagran (23.12.11)
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विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय कैबिनेट का बड़ा दांव
मुसलमानों को साढ़े चार फीसदी आरक्षण : ओबीसी कोटे के दायरे में होगा कोटा ( 4.5 percent Reservation for Muslims in India)
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को आरक्षण का दांव खेलकर राजनीतिक बढ़त बनाने का दांव खेल दिया है। सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण में अलग से अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी सब कोटा तय कर दिया है। बाबरी विध्वंस के बाद कांग्रेस से मुंह मोड़े मुसलमानों को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस ने यह फैसला किया है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार देर शाम कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।
अधिसूचना जारी होते ही अल्पसंख्यकों को केंद्र सरकार की नौकरियों और केंद्रीय शैक्षिण संस्थानों में साढ़े चार फीसदी आरक्षण मिलेगा। यह आरक्षण सिर्फ मुसलिम समुदाय को नहीं बल्कि अन्य पिछड़े वर्ग के तहत आने वाले सभी अल्पसंख्यकों को फायदा पहुंचाएगा।
चुनाव आयोग एक या दो दिन में यूपी समेत पांच राज्यों के चुनावों की तारीखों का ऐलान करने वाला है। इससे ठीक पहले सरकार ने सियासी दांव खेल दिया है।
सरकार ने इस मामले में जरा भी देरी नहीं की क्योंकि आचार संहिता लागू होने से सरकार के हाथ बंध जाते। मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक के बाद श्रीप्रकाश जायसवाल ने अमर उजाला को कहा कि संप्रग सरकार ने इतिहास रच दिया है। जो अभी तक की कोई सरकार कर नहीं पाई वह हो गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की तर्ज पर राज्य सरकारों को भी यह आरक्षण अल्पसंख्यकों को देना चाहिए।
उत्तर प्रदेश की चुनावी जंग जीतने के लिए कांग्रेस ने सारे दांव खेल दिए हैं। बुंदेलखंड पैकेज के बाद बुनकरों को पैकेज देकर पार्टी ने प्रदेश में मुसलिम वर्ग को लुभाने की जी तोड़ कोशिश की है। जानकार कांग्रेस के इस दांव को मास्टर स्ट्रोक करार दे रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इस दांव से पार्टी सीधे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मुसलिम वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राहुल गांधी के यूपी मिशन-2012 को कामयाब बनाने के लिए पार्टी कोई कसर भी नहीं छोड़ना चाहती।
News : Amar Ujala (23.12.11)**********************************
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